अमरीकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने
ईरानी नेतृत्व पर तीख़ा हमला बोला है. उन्होंने कहा कि ईरान ने पूरे
मध्य-पूर्व में 'अराजकता, मौत और विनाश' का माहौल बना रखा है.
ट्रंप
ने ये बातें न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 73वें अधिवेशन में
कहीं. उन्होंने ईरान से परमाणु समझौता रद्द करने के अपने फ़ैसले का भी बचाव
किया. उन्होंने कहा, "ईरान का नेतृत्व अपने पड़ोसी देशों, उनकी सीमाओं और संप्रभुता का सम्मान नहीं करता. ईरान के नेता देश के संसाधनों का इस्तेमाल ख़ुद को अमीर बनाने और मध्य-पूर्व में अफ़रा-तफ़री मचाने के लिए कर रहे हैं."
ट्रंप ने ये भी कहा कि उनके प्रशासन ने अमरीका के इतिहास में 'किसी और से ज़्यादा' काम पूरे किए हैं.
उनकी ये बातें सुनकर लोग हंसने लगे.
लोगों की हंसी सुनकर ट्रंप भी हंसे और कहा, "मैंने ऐसी प्रतिक्रिया की उम्मीद नहीं की थी." इसके बाद ट्रंप ने ज़ोर देकर दुहराया कि अमरीका पहले इतना मज़बूत, अमीर या सुरक्षित कभी नहीं था.
डोनल्ड ट्रंप ने उत्तर कोरिया के साथ अमरीका के नर्म और चीन के साथ तल्ख़ रवैये का भी बचाव किया.
इन सारी बातों के बावजूद ट्रंप के भाषण का निचोड़ यही था कि वो दुनिया में अमरीका को अपने हिसाब से चलने के अधिकार की वकालत कर रहे थे.
उन्होंने कहा, "मैं हर देश के उसकी परंपराओं, विश्वासों और रीति-रिवाजों को मानने के अधिकारों का सम्मान करता हूं. अमरीका आपको नहीं बताएगा कि आपको कैसे रहना है, कैसे काम करना है या किसकी पूजा करनी है. हम आपसे सिर्फ़ इतना चाहते हैं कि बदले में आप भी हमारी संप्रमुभता का सम्मान करिए."
राष्ट्रपति ट्रंप के भाषण से अगर तुरंत कोई हेडलाइन निकालनी ये होगी कि उत्तर कोरिया के बजाय अब उनका ईरान उनका दुश्मन नबंर वन बन गया है. लेकिन उनके भाषण इसके अलावा और इससे ज़्यादा भी बहुत कुछ था.
पिछले साल ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र और इसके बहुपक्षवाद पर जो चोट की थी, इस साल उसका बड़ा रूप देखने को मिला. संयुक्त राष्ट्र अपने सदस्यों को साथ मिलकर एक लक्ष्य की प्राप्ति के लिए काम करने की वकालत करता है और ट्रंप इसकी आलोचना करते हैं.
ट्रंप ने अपने भाषण में वैश्विकता की निंदा तो की है, इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट को भी नहीं छोड़ा. ट्रंप के इस बार के भाषण में राष्ट्रवाद और देश की संप्रभुता के लिए उनका प्रेम और उभरकर सामने आया.
ट्रंप के लिए राष्ट्रवाद ही वो एकमात्र रास्ता है जो अमरीका के लोगों के अधिकारों और आज़ादी की रक्षा कर सकता है.
- डोनल्ड ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की तीखी आलोचना की और कहा कि वो डब्ल्यूटीओ की ओर से और 'उत्पीड़न' नहीं बर्दाश्त करेंगे.
- उन्होंने चीन पर बौद्धिक संपदा की चोरी का आरोप लगाया. ट्रंप ने कहा कि चीन की ऐसी हरकतों की वजह से ही अमरीका और चीन के बीच 'ट्रेड वॉर' की नौबत आ गई.
- उन्होंने वैश्विकता को ख़ारिज किया और 'देशभक्ति' की तारीफ़ की है.
- ट्रंप
ने कहा कि अवैध प्रवासियों की वजह से अपराधियों का नेटवर्क बनने में मदद
मिलती है और इससे स्थानीय लोगों के लिए मुश्किलें पैदा होती हैं. उन्होंने
कहा कि पलायन और प्रवास जैसे मसले अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के हाथों में
नहीं दिए जा सकते. ट्रंप ने कहा कि जिन देशों के लोग पलायन करके दूसरी
जगहों पर जाते हैं उन्हें अपने लोगों की मदद करनी चाहिए.ट्रंप के भाषण के बाद बोलने वाले फ़्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों
ने कहा कि उन्होंने संप्रभुता के सिद्धांत को मानने से कभी इनकार नहीं
किया लेकिन इसे हथियार की तरह इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए.
मैक्रों ने कहा कि इस बारे में बातचीत और संवाद होना चाहिए. उन्होंने कहा, "मैं संप्रभुता के सिद्धांत को उन राष्ट्रवादियों के हाथों में नहीं छोड़ूंगा जो हमारे उसूलों पर हमला करने के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं."
मैंक्रो ने कहा कि वो सबसे ताकतवर के बनाए क़ानून में यक़ीन नहीं करते.
उन्होंने कहा, "मैं वैश्विक संतुलन में यक़ीन करता हूं. 21वीं सदी में मज़बूत बहुपक्षीय रवैये के बिना हम नहीं जीत सकते.
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